कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ If this submit contains any copyrighted one-way links or materials, we will not supply its PDF or almost every other downloading supply. स्तवं यः प्रभाते नरः शूलपाणे पठेत् सर्वदा भर्गभावानुरक्तः । सोमवार – जिस भी क्षेत्र में आप कार्य करते हैं, https://shivchalisas.com